Friday 25 May 2012

मूर्ख कौन?


Thursday, 24 May 2012 10:16:12 hrs IST
एक चरवाहे को कहीं से चमकीला पत्थर मिल गया। चमकीला पत्थर लेकर वह बाजार में गया। फुटपाथ पर बैठे दुकानदार ने वह पत्थर उससे आठ आने में खरीदना चाहा, परन्तु उसने उसे बेचा नहीं। आगे गया तो सब्जी बेचने वाले ने उसका मूल्य लगाया दो मूली। कपड़े की दुकान पर गया तो दुकानदार ने उसका दाम लगाया- थान भर कपड़ा। 

चरवाहे ने फिर भी नहीं बेचा, क्योंकि उसका मूल्य लगातार बढ़ता जा रहा था।
तभी एक व्यक्ति उसके पास आया और बोला, 'पत्थर बेचोगे?' 'बेचूंगा, सही दाम मिला तो?' 'दाम बोलो' 'हजार रूपए' 'दिन में सपने देखते हो चमकीला है, तो क्या हुआ।' कहकर वह व्यक्ति आगे बढ़ गया। वह जोहरी था। समझ गया कि चरवाहा पत्थर का मूल्य नहीं जानता। वह चला गया कि फिर आता हूं। उसके जाते ही एक दूसरा जोहरी आया। पत्थर को देखते ही उसकी आंखें खुल गई। दाम पूछा, तो चरवाहे ने बताया डेढ़ हजार रूपए। जोहरी ने डेढ़ हजार में हीरा खरीद लिया। 

अब पहले वाला जोहरी उसके पास आया और बोला, 'कहां है तुम्हारा पत्थर?' चरवाहे ने कहा, वह तो बेच दिया। 'कितने में?' 'डेढ़ हजार रूपए में।' जोहरी बोला, 'मूर्ख आदमी, वह हीरा था जो लाखों का था। तुमने कौड़ी के भाव बेच दिया। चरवाहा बोला, 'मूर्ख मैं नहीं, तुम हो। वह तो मुझे भेड़ चराते हुए मुफ्त में मिला था। मैंने उसे डेढ़ हजार में बेच दिया । लेकिन तुमने उसका मूल्य जानते हुए भी घाटे का सौदा किया। मूर्ख तुम हो या मैं।' जोहरी के पास अब कोई जवाब न था।

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