Monday 28 May 2012

पहले पुरूषार्थ करें


Monday, 28 May 2012 9:24:23 hrs IST
एक आदमी बैलगाड़ी लेकर जा रहा था। मार्ग में एक जगह दलदल आया और बैलगाड़ी उसमें फंस गई। बैलों ने जोर मारा, लेकिन गाड़ी का पहिया कीचड़ में धंसता गया। बैलगाड़ी वाला गाड़ी में बैठा बैलों को तो ललकारता है, किंतु गाड़ी को आगे बढ़ाने में सहारा नहीं देता। तभी देवी का एक मंदिर दिखाई दिया तो गाड़ी वाले ने देवी-मां की गुहार लगाई और गाड़ी को निकाल देने की प्रार्थना की। 

कुछ देर बाद एक हट्टा-कट्टा आदमी वहां आया। उसने कहा, 'गाड़ी में बैठने से क्या होगा? आओ, गाड़ी से नीचे उतरो और मेरे साथ गाड़ी को आगे की ओर धक्का लगाओ।' बैलगाड़ी वाले ने कहा, 'मेरे धक्का देने से क्या होगा? गाड़ी खींचने के लिए बैल हैं न?' आगंतुक ने कहा, 'तुम्हें गाड़ी निकालनी है या नहीं।' गाड़ी वाले ने कहा, 'गाड़ी निकालने के लिए ही तो देवी मां से विनती कर रहा हूं।'उस व्यक्ति ने कहा, 'निकालनी है तो जैसा कह रहा हूं, वैसा करो।' हारकर गाड़ी वाला नीचे उतरा, पहिये में हाथ लगाकर आगे की ओर धक्का दिया। बैलों को भी सहारा मिला और गाड़ी कीचड़ से निकल गई।

आगंतुक ने गाड़ी वाले को नसीहत देते हुए कहा, 'जिस काम को हम कर सकते हैं, उसके लिए देवी-देवताओं को बुलाना, उनसे मदद की आशा करना अच्छी बात नहीं है। अपने पुरूषार्थ का प्रयोग करना सीखो। जहां अपनी शक्ति काम न करे, अपर्याप्त सिद्ध हो, वहां देवी-देवता की पुकार करनी चाहिए।'

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