Tuesday 29 May 2012

प्यार ही स्वर्ग


Friday, 25 Nov 2011 8:21:24 hrs IST
बहुत पुरानी बात है। मेरी एवं टॉमस का जीवन आनन्दमय था। दोनों एक दूसरे से प्रेम करते थे तथा परस्पर समर्पित थे। गरीब होने के बावजूद वे अपना विवाह दिवस मनाते तथा एक-दूसरे को उपहार देते। दोनों में मन-मुटाव या झगड़े जैसी चीज किसी ने कभी सुनी ही न थी। एक बार उनका विवाह दिवस निकट आया। समय का फेर, दोनों के पास कुछ भी न था। उनकी जेबें खाली थीं। गरीबी के कारण उन्हें कहीं से उधार मिलने की उम्मीद भी न थी। दोनों के मन में उधेड़बुन चल रही थी कि इस वर्ष उपहार में क्या दिया जाए और उपहार की व्यवस्था कैसे की जाए?

अचानक मेरी को ध्यान आया कि टॉमस के पास सुन्दर घड़ी है, किन्तु उसमें पट्टा नहीं है। अत: क्यों न मैं अपने सुनहरे बाल बेचकर उसके लिए पट्टा खरीद लूं। यह विचार आते ही वह नाई के पास गई तथा बाल कटवा लिए और उसे बेचकर आ गई। जो पैसे मिले, उससे उसने टॉमस की घड़ी के लिए एक सुनहरा सा पट्टा खरीदा और खुशी-खुशी घर लौट आई। 

इधर, टॉमस सोच रहा था कि मेरी के सुनहरे घुंघराले बाल में सुन्दर-सी क्लिप हो तो वह कितनी अच्छी लगेगी। यह विचार आते ही उसने घड़ी बेचकर क्लिप खरीद ली।

उपहार देने का समय आया। क्लिप कहां लगे, क्योंकि बाल तो नदारद थे। वैसे ही चैन कहां बंधे, क्योंकि घड़ी तो बिक चुकी थी। दोनों पति-पत्नी के प्रेमाश्रु बहने लगे। उनके लिए प्यार ही स्वर्ग था। इसीलिए तो कहा कि जीवन में प्यार से बढ़कर कुछ नहीं है।

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