Saturday 26 May 2012

हमदर्दी


Saturday, 30 Jul 2011 8:34:32 hrs IST
एक जापानी अपने मकान की मरम्मत के लिए उसकी दीवार को खोल रहा था। ज्यादातर जापानी घरों में लकड़ी की दीवारों  के बीच जगह होती है। जब वह लकड़ी की इस दीवार को उधेड़ रहा था तो उसने देखा कि दीवार में एक छिपकली फंसी हुई थी। छिपकली के एक पैर में कील ठुकी हुई थी। उसे छिपकली पर रहम आया। उसने इस मामले में उत्सुकता दिखाई।
अरे यह क्या! यह तो वही कील है जो काफी पहले मकान बनाते वक्त ठोकी गई थी।

यह क्या !! क्या यह छिपकली इसी हालत से दो चार है?!! यह नामुमकिन है। उसे हैरत हुई। यह छिपकली आखिर जिंदा कैसे है!!!  बिना एक कदम हिले-डुले जबकि इसके पैर में कील ठुकी है! उसने अपना काम रोक दिया और सोचा कि किस तरह की खुराक इसे अब तक मिल पाई। इस बीच एक दूसरी छिपकली ना जाने कहां से वहां आई जिसके मुंह में खुराक थी। अरे! यह दूसरी छिपकली इस फंसी हुई छिपकली को खिलाती रही। जरा गौर कीजिए। वह दूसरी छिपकली बिना थके और अपने साथी की उम्मीद छोड़े बिना लगातार उसे खिलाती रही।

आप अपने गिरेबां में झांकिए-क्या आप अपने जीवनसाथी के लिए ऎसी कोशिश कर सकते हैं? तुम अपनी मां के लिए, अपने पिता के लिए, अपने भाई-बहिनों के लिए या फिर अपने दोस्त के लिए ऎसा कर सकते हो? और फिक्र कीजिए अगर एक छोटा-सा जीव ऎसा कर सकता है तो वह जीव क्यों नहीं जिसको ईश्वर ने सबसे ज्यादा अक्लमंद बनाया है?

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