Saturday 26 May 2012

छोटों की राय


Wednesday, 03 Aug 2011 8:37:19 hrs IST
प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री अपने सहयोगियों से किसी विषय पर चर्चा करते समय कई बार अपने किसी नौकर या माली से पूछते, 'क्यों भाई। तुम्हारी इस पर क्या राय है या तुम्हारा क्या ख्याल है?'

एक बार जब अपने किसी मित्र से वे गंभीर विषय पर चर्चा कर रह थे तो यही बात दोहराई और अपने नौकर से पूछा, 'क्यों, तुम्हारी क्या राय है?'
मित्र ने कहा, 'शास्त्री जी! मुझे आपका यह व्यवहार आज तक समझ में नहीं आया। मैं आपसे एक मसले पर चर्चा कर रहा हूं और आप नौकर से राय मांग रहे हैं।'

इस पर शास्त्री जी ने उस मित्र को एक घटना सुनाई- गुरुत्त्वाकर्षण सिद्धांत के जनक न्यूटन के घर उनकी बिल्ली ने बच्चे दिए। रात को जब घर के सारे दरवाजे बंद हो जाते तो बिल्ली और उसके बच्चे बाहर निकलने के लिए उत्पात मचाते। न्यूटन ने नौकर को बुलाकर कहा, 'इस दरवाजे में दो छेद कर दो, एक छोटा, एक बड़ा।' नौकर ने कहा, 'सर, दो छेद की तो जरूरत ही नहीं है, एक ही बड़ा छेद काफी है, क्योंकि जिस छेद से बिल्ली निकल जाएगी, उस छेद से उसके बच्चे भी बड़ी आसानी से निकल जाएंगे।'

यह बात सुनकर न्यूटन हैरान रह गए कि इतनी छोटी-सी बात उनकी समझ में क्यों नहीं आई? यह घटना बताकर शास्त्री जी ने कहा, 'कभी-कभी छोटे व्यक्ति की सलाह भी बड़े काम की साबित होती है।' कहीं-कहीं छोटे आदमी भी बड़े काम की बात सुझा देते हैं। अच्छी बात बच्चे से भी सीखी जा सकती है। यह प्रयोग हमारे कष्ट, बेचैनी और मूच्र्छा को बहुत कम कर देगा।  -

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