जो आदमी सत्य को झुठलाता है, वह घाटे में रहता है।
सत्य को झुठलाने का परिणाम अच्छा नहीं होता। जब सत्य का पता चलता है, तब वह
झूठ उसे ही सालने लगता है। असत्य की उत्पत्ति के चार कारण बताए गए
हैं-क्रोध, लोभ, भय और हास्य। आदमी झूठ नहीं बोलना चाहता। वाणी का असत्य भी
नहीं चाहता, किन्तु जब ये चार आवेश प्रबल होते हैं, तब सच्चाई नीचे चली
जाती है और असत्य उभरकर सामने आ जाता है।
उसने अंगूठी निकालकर दे दी और पचास हजार रूपए ले लिए। पुत्र को पत्र लिखा, तुमने शुभ मुहूर्त में अंगूठी भेजी। उसको मैंने पचास हजार रूपए में बेचकर पैंतालीस हजार रूपए कमा लिए। लौटती डाक से पत्र आया, पिताजी! संकोच और भयवश मैंने सच्चाई नहीं लिखी थी। वह अंगूठी एक लाख की थी। यह सत्य को झुठलाने का परिणाम था।