Friday 6 July 2012

आकांक्षाएं असीम

Tuesday, 03 Jul 2012 2:07:00 hrs IST

एक धनी आदमी अपनी दुकान पर बैठा था। इतने में चार-पांच व्यक्ति उसकी दुकान के सामने कार से उतरे। उनके व्यक्तित्व से लग रहा था कि संभ्रान्त घरों के लोग हैं। सेठ ने उनका स्वागत किया और आने का आशय पूछा। उन लोगों में से एक ने कहा, 'हमने सुना है कि आपके पुत्र ने अभी-अभी व्यापार प्रबंधन का कोर्स किया है। मेरे भी एक ही लड़की है। वह उच्च शिक्षित है। हम चाहते हैं कि विवाह के लिए अपनी स्वीकृति प्रदान करें। 

सेठ ने कहा, आपका प्रस्ताव सुनकर बड़ी प्रसन्नता हुई। किन्तु अभी मैं 'हां' कहने की स्थिति में नहीं हूं। वजह यह है कि लड़का अरूचि दिखा रहा है। पहले भी लोग आए थे और जाते-जाते पांच करोड़ देने की बात कह गए। लड़का अभी दो नई इंडस्ट्री शुरू करना चाहता है। ऎसी स्थिति में मैं क्या करूं?'

आगन्तुकों से सेठ ने पांच करोड़ की बात कहकर यह सूचना दे दी कि इससे ज्यादा हो तो बात की जा सकती है। सेठ ने बही खाते भी सामने रख दिए, जिसमें करोड़ों का टर्न ओवर था। 

सेठ ने बही खाते सामने रखे ही थे कि कई लोग जीप से उतरे और उन्होंने सेठ को यह कहते हुए घेर लिया कि हम विवाह के लिए नहीं आए हैं। हम तो आयकर वाले हैं। सेठजी अपने जाल में खुद ही फंस चुके थे।

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