Monday 6 August 2012

एक बच्चे की सीख

Monday, 06 Aug 2012 7:27:59 hrs IST

बायजीद नाम का एक मुसलमान फकीर हुआ है। वह गांव से गुजर रहा था। सांझ का समय था, वह रास्ता भटक गया। तभी उसने एक बच्चे को हाथ में दीपक ले जाते हुए देखा। उसने बच्चे को रोककर पूछा, 'यह दीया किसने जलाया और इसे लेकर तुम कहां जा रहे हो?'
 
बच्चे ने कहा, 'दीया मैंने ही जलाया है और इसे मैं मंदिर में रखने के लिए जा रहा हूं।' बायजीद ने फिर पूछा, 'क्या यह पक्की बात है कि दीया तुमने ही जलाया है?' ज्योति तुम्हारे ही सामने जली है? अगर ऎसी बात है तो तुम मुझे बताओ कि ज्योति कहां से आई और कैसे आई?'

उस बच्चे ने बायजीद की ओर गौर से देखा और फिर फूंक मारकर दीये को बुझा दिया। दीया बुझाने के बाद उस बच्चे ने पूछा, 'अभी आपके सामने ज्योति समाप्त हो गई। वह ज्योति कहां गई और कैसे चली गई, कृपाकर आप मुझे समझाएं।'

बच्चे के इस प्रश्न से बायजीद अवाक् रह गया। उसने बच्चे से कहा, 'मुझे आज तक भ्रम था कि मैं ही जानता हूं कि जीवन कहां से आया और कहां चला गया। आज मुझे अपनी हकीकत का पता चला है। जो मैं गुरूओं और बड़े औलियों से नहीं सीख पाया, वह मैं तुमसे सीख कर जा रहा हूं कि मैं कुछ भी नहीं जानता।' किसी को भी यह भ्रम नहीं होना चाहिए कि वह एक सच्चे धर्म का अनुयायी है और दूसरे सब भटके हुए हैं।

जरूरत है हमारा दृष्टिकोण बदले।  कोई व्यक्ति यह धारणा क्यों करे कि वही सब कुछ जानता है। सब उसी से सीखें। सीख तो एक बच्चे से भी ली जा सकती है।

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