Friday 3 August 2012

सदाचरण जरूरी

Friday, 03 Aug 2012 2:36:55 hrs IST
प्रश्न होता है— धर्म का असर क्यों नहीं दिखाई देता? यही प्रश्न एक बार एक महात्मा से भी किसी ने पूछा, 'आज धर्म का असर क्यों दिखाई नहीं दे रहा है?' महात्मा ने कहा, 'तुम बताओ, राजगृह यहां से कितनी दूर है?'
'दो सौ मील।'
'तुम जानते हो?'
'हां, मैं जानता हूं।'
'क्या तुम राजगृह का नाम लेते ही राजगृह पहुंच गए या पहुंच जाते हो?' महात्मा ने पूछा।
'पहुंचूंगा कैसे? अभी तो मैं यहां आपके पास खड़ा हूं। राजगृह के लिए प्रस्थान करूंगा, तो कई दिन चलने के बाद वहां पहुंचूंगा।'
महात्मा ने कहा, 'तुम्हारे इस उत्तर में ही मुझसे पूछी गई बात का उत्तर छिपा है। तुम राजगृह को जानते हो, किन्तु जब तक वहां के लिए प्रस्थान नहीं करोगे, राजगृह नहीं पहुंच पाओगे। यही बात धर्म मार्ग के लिए भी है। धर्म को जानते हो, पर जब तक उसके नियमों पर नहीं चलोगे, उस पर आचरण नहीं करोगे, तब तक धर्म का असर कैसे होगा?'
धर्म के उपादानों की उपेक्षा की गई, तो धर्म कभी भी आचरण में नहीं उतरेगा। धर्म के मूल कारकों में शामिल हैं - क्षमा और सहनशीलता। यह एक बहुत बड़ी शक्ति है। अपेक्षा तो यही है कि जीवन के प्रारम्भ में ही बदलाव आए और यदि ऎसा न हो सके, तो अवस्था के साथ-साथ अपने स्वभाव स्वभाव और वृत्तियों में सकारात्मक परिवर्तन शुरू कर देना चाहिए।

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